गाना: जिस जगह पे ख़तम
फिल्म: प्लेयर्स
गायक: नीरज श्रीधर, मौली दवे, सिद्धार्थ बसरूर
गीत: आशीष पंडित
अभी तक तो हमें कोई समझा ही नहीं,
हाँ... कोई हमें पहचाना है कहाँ,
नहीं किसी को खबर,
है वो मंजिल कौन सी,
हाँ... आखिर हमें जाना है जहाँ.
हो.. हम चले तो दिन भी खुद ब खुद चलते हैं,
हम जहाँ रुक जायें वहीं रात होती है.
(जिस जगह पे ख़तम सब की बात होती है
उस जगह से हमारी शुरुआत होती है) - २
चुप हैं अगर हम यह अपनी शराफत है,
वरना तो रोके ना रूकती शरारत है,
प्यासा है कितना यह पूछो ज़रा मनसे,
इस को भिगो दे तू जुल्फों के सावन से,
इस बहाने तू भी थोडा सा भीगेगा,
कौन सी रोजाना यह बरसात होती है.
(जिस जगह पे ख़तम सब की बात होती है
उस जगह से हमारी शुरुआत होती है) - २
अपनी अदाओं का कायल ज़माना है,
लेकिन यह दिल तो तेरा ही दीवाना है,
हम तुम मिले हैं तो कोई वज़ा होगी,
इसमें भी शायद खुदा की रज़ा होगी,
दो दिलों का मिलना तय वही करता है,
चाहने से कब ये मुलाकात होती है.
(जिस जगह पे ख़तम सब की बात होती है
उस जगह से हमारी शुरुआत होती है) - २
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