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Wednesday 12 June 2013

स्विस मसौदे पर कोर्ट ने फिर जताया सरकार से एतराज


इस्लामाबाद. पकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को खोलने के लिए स्विस सरकार को पत्र लिखने का मामला फिर उलझ गया है.
पत्र के मसौदे को लेकर सरकार और देश के सर्वोच्च न्यायालाय का मतभेद शुक्रवार को भी देखने को मिला. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने स्विस सरकार को भेजे जाने वाले पत्र के ताजा मसौदे पर भी एतराज जताया है.
 
 साथ ही इसे 10 अक्टूबर तक अंतिम रूप देने का निर्देश पाकिस्तान की सरकार को दिया है. शुक्रवार को कानून मंत्री फारूक नाईक ने न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ के सामने पत्र का संशोधित मसौदा पेश किया.
न्यायाधीशों ने पत्र के कुछ अंशों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह 2009 के उस आदेश से मेल नहीं खाता है जिसमें जरदारी के खिलाफ मामलों की समीक्षा की अपील की गई थी.
 
अदालती कार्यवाही के दौरान न्यायाधीश विचार-विमर्श करने के लिए दो बार अपने चेंबर में भी गए. सलाह-मशविरे के लिए नाईक और एक सरकारी वकील को भी चेंबर में बुलाया गया.
इसके बाद न्यायाधीश जब अदालत कक्ष में लौटे तो कानून मंत्री ने पत्र के मसौदे को अंतिम रूप देने और प्रधानमंत्री के साथ विचार-विमर्श के लिए समय मांगा. देश की शीर्ष अदालत ने संक्षिप्त आदेश में पत्र के मसौदे में सुधार के लिए 10 अक्टूबर तक का वक्त देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी.
गौरतलब है कि पत्र लिखने से इनकार करने के बाद अदालती अवमानना के आरोपी बनाए गए प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश होकर कहा था कि उनकी सरकार स्विट्जरलैंड को पत्र भेजेगी.
ऐसा  लगता नहीं है कि पाकिस्तान सरकार की मंशा अपने भ्रष्ट राष्ट्रपति के विरुद्ध स्विस पत्र लिखने में कोई दिलचस्पी है. वह पूरी कोशिश कर रही है कि येन-केन प्रकारेण अपने भ्रष्टतम राष्ट्र-प्रमुख को बचा लिया जाय.

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